સતગુરુ દેવ આરતી

સતગુરુ દેવ આરતી

Gujrat
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 जय गुरुदेव दयानिधि,

दीनन हितकारी,

स्वामी भक्तन हितकारी,

जय जय मोह विनाशक,

भव बंधन हारी,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


ब्रह्मा विष्णु सदा शिव,

गुरु मूरति धारी,

वेद पुराण बखानत,

गुरु महिमा भारी,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


जप तप तीरथ संयम,

दान बिबिध दीजै,

गुरु बिन ज्ञान न होवे,

कोटि जतन कीजै,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


माया मोह नदी जल,

जीव बहे सारे,

नाम जहाज बिठा कर,

गुरु पल में तारे,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


काम क्रोध मद मत्सर,

चोर बड़े भारे,

ज्ञान खड्ग दे कर में,

गुरु सब संहारे,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


नाना पंथ जगत में,

निज निज गुण गावे,

सबका सार बताकर,

गुरु मारग लावे,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


पाँच चोर के कारण,

नाम को बाण दियो,

प्रेम भक्ति से सादा,

भव जल पार कियो,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


गुरु चरणामृत निर्मल,

सब पातक हारी,

बचन सुनत तम नाशे,

सब संशय हारी,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


तन मन धन सब अर्पण,

गुरु चरणन कीजै,

ब्रह्मानंद परम पद,

मोक्ष गति लीजै,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


श्री सतगुरुदेव की आरती,

जो कोई नर गावै,

भव सागर से तरकर,

परम गति पावै,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।


जय गुरुदेव दयानिधि,

दीनन हितकारी,

स्वामी भक्तन हितकारी,

जय जय मोह विनाशक,

भव बंधन हारी,

ॐ जय जय जय गुरुदेव हरे।।

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